शिक्षा

शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण गतिविधि है जो कुछ निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्देशित होती है, जैसे कि ज्ञान का संचार करना या कौशल और चरित्र लक्षणों को बढ़ावा देना। इन उद्देश्यों में समझ, तर्कसंगतता, दया और ईमानदारी का विकास शामिल हो सकता है। शिक्षा को शिक्षा से अलग करने के लिए विभिन्न शोधकर्ता आलोचनात्मक सोच की भूमिका पर जोर देते हैं। कुछ सिद्धांतकारों की आवश्यकता है कि शिक्षा का परिणाम छात्र के सुधार में होता है जबकि अन्य शब्द की मूल्य-तटस्थ परिभाषा पसंद करते हैं। थोड़े अलग अर्थ में, शिक्षा प्रक्रिया को नहीं, बल्कि इस प्रक्रिया के उत्पाद को संदर्भित कर सकती है: शिक्षित लोगों की मानसिक स्थिति और स्वभाव। शिक्षा की उत्पत्ति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सांस्कृतिक विरासत के हस्तांतरण के रूप में हुई। आज, शैक्षिक लक्ष्य तेजी से नए विचारों को शामिल करते हैं जैसे कि शिक्षार्थियों की मुक्ति, आधुनिक समाज के लिए आवश्यक कौशल, सहानुभूति और जटिल व्यावसायिक कौशल।

कानपुर की उच्च शिक्षा प्रणाली का प्रतिनिधित्व 18 विश्वविद्यालयों द्वारा किया जाता है, जो 249 अध्ययन कार्यक्रम प्रदान करते हैं। इसके अलावा, 18 विश्वविद्यालयों में 127 स्नातक कार्यक्रम, 17 विश्वविद्यालयों में 115 मास्टर कार्यक्रम और 4 विश्वविद्यालयों में 7 पीएचडी कार्यक्रम हैं।

कानपुर का शैक्षणिक विकास

कानपुर के शैक्षणिक विकास की यात्रा पूर्वकालिक गुरुकुलो व आश्रमों से होते हुए देशी पाठशालाओं तक आ गई थी । कानपुर के क्लेक्टर मि. राबर्ट मांटगोमरी की 29 जुलाई 1846 की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्नाकुलर एजूकेशन के आंकड़ों में जिला कानपुर में 540 स्कूलो मे 4,619 छात्रो को 544 शिक्षक पढ़ा रहे थे । इनमे से कानपुर शहर में परसियन 42 व कैंट में 16, अरबी शहर में 10 कैंट में 3, संस्कृत शहर में 2, हिन्दी शहर मे 18 कैंट में 12 स्कूल थे । सरकारी व मिशनरी स्कूलों में कानपुर शहर में परसियन 1, हिन्दी व संस्कृत 3, अंग्रेजी 3 स्कूल इस प्रकार शहर में 79 v कैंट में 31 स्कूल थे । इनमें कानपुर फ्री स्कूल भी शामिल है जो 1820 में स्थापित हुआ और क्रांतिकारी अजीमुल्ला खान ने शिक्षा प्राप्त कर उसमे शिक्षक रहे जो आज का क्राइस्टचर्च इंटर कॉलेज है । इसके साथ ही संस्कृत शिक्षा के प्रसार के लिए निगोहा के पण्डित आनंदोब्रह्म का उल्लेख किया गया है ।

कानपुर में तकनीकी शिक्षा के लिए सबसे पुरानी संस्था कानपुर का कृषि विद्यालय है । उ. प्र. में शिक्षा के पृष्ठ 143 के मुताबिक़ 1893 में कृषि विद्यालय खोला गया । जिसमें कानूनगो अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण के साथ कृषि के मूल सिद्धांत, क्रियात्मक शिक्षा, क्षेत्रमिति, भू मापन, वनस्पति विज्ञान, प्रारंभिकी भौतिकी, तथा रसायन विज्ञान, सर्वेक्षण और भू विज्ञान विषय की शिक्षा दी जाती थी । सन 1906 में भूलेख प्रशिक्षण के विषय समाप्त कर कृषि शिक्षा हेतु कृषि महाविद्यालय कर दिया गया और अप्रैल 1975 में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हो गया ।

सन 1914 में नवाबगंज में दो कमरों से डाइंग एंड प्रिंटिंग स्कूल शुरू हुआ जो सन 1923 में अपने भवन में पहुंचा जो आज का केन्द्रीय वस्त्र संस्थान है । राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की स्थापना का इतिहास भी काफी रोचक है । वर्ष 1920 में इंडियन शुगर कमेटी ने प्रस्ताव पर शुगर तकनीक के लिए एच बी टी आई परिसर में शुगर विभाग खोला गया । वर्ष 1928 में रायल कमीशन इन एग्रीकल्चर ने शुगर शोध संस्थान खोलने की सिफारिश की गई और वर्ष 1936 में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान स्वतंत्र रूप से गठित कर संचालित होने लगा ।

सन 1921में कृषि महाविद्यालय परिसर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज खोला गया जो कि हरकोर्ट बटलर टेकनॉलोजी इंस्टीट्यूट । प्रारम्भ में केमिकल एंड आयल टेक्नोलोजी की शिक्षा दी जाती थी बाद में अन्य संकाय में वृद्धि होती गई । उसी परिसर में राजकीय चर्म संस्थान भी है जो वर्ष 1916 में खुला । वर्ष 1955 में मेडिकल कॉलेज प्रारम्भ हुआ इसका प्रारंभिक बैच लखनऊ से था वर्ष 1957 से गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षा दी जाने लगी । वर्ष 1962 में जवाहरनगर से कानपुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज प्रारम्भ हुआ । जो बाद में जी एन के कालेज से संचालित हुआ और बाद में वर्ष 1999 में लखनपुर में अपने भवन में आ गया । वर्ष 1960 में कानपुर को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का तोहफा मिला इसकी प्रारंभिक कक्षाएं एच बी टी आई में लगाई गई । सन 1963 में आई आई टी अपने कल्याणपुर स्थित नए भवन में आ गया ।

सन 1966 में जी टी रोड पर कानपुर विश्वविद्यालय शुरू हुआ इसका पहला बैच 1967 से प्रारम्भ हुआ । वर्ष 1990 में विश्व विद्यालय परिसर से भी शिक्षण कार्य शुरू हो गया । सन 1966 में ही राजकीय पालीटेक्निक खुलने के साथ ही प्राविधिक शिक्षा के कोर्स शुरू हो गए । इसके साथ ही अंबेडकर टेकनोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ हैंडिकैप्ड , सेंट्रल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, और ओद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आई टी आई आदि तकनीकी शिक्षा दे रहे हैं । वर्ष 1916 में डी ए वी इंटर कॉलेज और मारवाड़ी इंटर कॉलेज, बी एन एस डी कालेज, कान्यकुब्ज इंटर कालेज, पी पी एन इंटर कालेज, हरसहाय जगदम्बा सहाय इंटर कॉलेज, हलीम मुस्लिम इंटर कॉलेज, क्राइस्ट चर्च इंटर कॉलेज यह सभी आज़ादी से पहले शुरू हुए थे । महाविद्यालयो में वर्ष 1919 में डी ए वी कालेज व 1921 में वी एस एस डी कालेज, पी पी एन कालेज, ब्रह्मानंद कालेज हलीम मुस्लिम डिग्री कॉलेज, हरसहाय डिग्री कॉलेज, डी बी एस कालेज एस एन कालेज आदि प्रमुख हैं ।