कानपुर परंपरागत रूप से एक औद्योगिक शहर और आर्थिक केंद्र पर रहा है। एक समय में यह भारत का दूसरा सबसे अधिक औद्योगीकृत शहर था। सूती कपड़ा इकाइयों की बड़ी संख्या और कपास के लिए एक जीवंत व्यापार केंद्र के कारण इसे 'भारत का मैनचेस्टर' भी कहा जाता था।
कानपुर में कई स्थान लाभ हैं जैसे कि एक सुविधाजनक स्थान पर स्थान, कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता। चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, प्लास्टिक आदि, बड़े बाजारों से निकटता, कानपुर के भीतर स्थित विभिन्न संस्थानों (अर्थात प्रौद्योगिकी संस्थान, चंदर शेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, केंद्रीय दलहन अनुसंधान संस्थान, चमड़ा संस्थान आदि) के कारण कुशल जनशक्ति की उपलब्धता और मौजूदा पारंपरिक औद्योगिक आधार कुशल श्रमिकों को शहर की ओर आकर्षित करता है।
वर्तमान में, कानपुर में जूता बनाने, रेशम, ऊनी और जूट के वस्त्र, खाद्य उत्पाद, अग्नि-ईंट, उर्वरक, रेलवे वैगन, कपड़ा मशीनरी, टेलीविजन सेट, धातु के बर्तन, चमड़े के सामान, साबुन, टेंट, फव्वारा सहित अधिकांश उद्योग और कारखाने हैं। कलम, होजरी, कटलरी, टेलीविजन पिक्चर ट्यूब, आदि।
कानपुर शहर निम्नलिखित कारणों से जीवित है:
- रक्षा प्रतिष्ठान जैसे ओईएफ, एसएएफ और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री आदि।- टेनरीज़
- I.I.T, JEE, IAS / IPS आदि के लिए कोचिंग उद्योग।
- ट्रेडिंग गतिविधियां।
कानपुर के उद्योग:
1. एसोसिएटेड केमिकल इंडस्ट्रीज:
एसोसिएटेड केमिकल इंडस्ट्रीज (कानपुर) प्राइवेट लिमिटेड विशेष रसायन बनाती है। पिछले सत्तर वर्षों में यह एक रासायनिक बाजार के रूप में विकसित हुआ है जो चमड़ा उद्योग के लिए उत्पादों की एक विविध श्रेणी प्रदान करता है। आज, वे सिंथेटिक, अर्ध-सिंथेटिक और प्राकृतिक तेल-आधारित वसा-शराब की एक विस्तृत श्रृंखला के अग्रणी निर्माता हैं।
2. एसपीईई केमिकल इंडस्ट्रीज, पनकी इंडस्ट्रियल एरिया, कानपुर:
एसपीईई केमिकल इंडस्ट्रीज विभिन्न उद्योगों की मांग को पूरा करने वाले प्रमुख औद्योगिक रसायन निर्माता और आपूर्तिकर्ता में से एक है। वे नॉन फेरिक एलम, एल्युमिनियम सिलिकेट, सोडियम एल्युमिनियम सल्फेट और एनहाइड्रस एल्युमिनियम सल्फेट के निर्माण और आपूर्ति में लगे हुए हैं। उनकी निर्माण इकाई पनकी औद्योगिक क्षेत्र कानपुर में स्थित है; उत्तर प्रदेश का औद्योगिक केंद्र।
3. रोटोमैक पंप, औद्योगिक क्षेत्र, पनकी, कानपुर:
रोटोमैक पंप्स, कानपुर में स्थित अपने प्रधान कार्यालय के साथ, भारत में एपीआई 676 अनुपालन प्रगतिशील गुहा पंपों के अग्रणी निर्माताओं में से एक है, जो निम्न से अत्यधिक: चिपचिपा, आक्रामक और घर्षण मीडिया प्रदान करने के लिए पंपिंग समाधान प्रदान करता है और विकसित करता है।
4. आदित्य इंडस्ट्रीज, पनकी इंडस्ट्रियल एरिया, कानपुर:
आदित्य इंडस्ट्रीज को सर्वश्रेष्ठ कृषि पाइप और पाइप और फिटिंग के शीर्ष निर्माता, निर्यातक, आपूर्तिकर्ता, व्यापारी और वितरक के रूप में जाना जाता है।
5. हरिओम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बंगाली पुरवा, कानपुर:
श्री राम कुमार गुप्ता द्वारा स्थापित समूह की एक शाखा हरिओम एंटरप्राइजेज एक प्रतिष्ठित कानपुर स्थित निजी क्षेत्र का व्यवसाय समूह है। कंपनी ने पहले 40 साल के अस्तित्व के साथ एक उर्वरक ट्रेडिंग कंपनी के रूप में शुरुआत की, बाद में इसने व्यवसाय में विविधता ला दी है। समूह के व्यावसायिक हित हैं जो कागज निर्माण (हरियोम इंडस्ट्रीज लिमिटेड) से लेकर पीपी / बीओपीपी लैमिनेटेड बैग (हारिओम एंटरप्राइजेज) के निर्माण तक हैं। वर्तमान में हरिओम एंटरप्राइजेज कई सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों को बैग आपूर्तिकर्ताओं के विक्रेताओं के पैनल में नामांकित है और प्रति माह 60 लाख से अधिक पीपी / बीओपी बैग की आपूर्ति करता है।
6. सनराइज केमिकल इंडस्ट्रीज, पनकी इंडस्ट्रियल एस्टेट, साइट नंबर 1, कानपुर:
एससीआई जिंक क्लोराइड के निर्माता और जिंक धातु के व्यापारी के रूप में 30 से अधिक वर्षों से काम कर रहा है। वे जिंक क्लोराइड के विभिन्न ग्रेड भी प्रदान करते हैं। सनराइज केमिकल इंडस्ट्रीज का मुख्यालय उत्तर प्रदेश में है।
7. रिसांसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, फजल गंज, कानपुर:
रिसांसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसका मुख्यालय कानपुर, भारत में है, निम्न से अत्यधिक चिपचिपा, आक्रामक और अपघर्षक मीडिया प्रदान करने के लिए प्रगतिशील कैविटी पंप, मैग्मा मस्कुइट पंप और ऑनलाइन ब्लाइंड्स / एक्चुएटर्स का विकास, निर्माण और विश्व स्तर पर विपणन करता है।
8. गंगा उद्योग:
वर्ष 2011 में स्थापित, गंगा इंडस्ट्रीज ने गैर-बुने हुए कपड़े, सादे गैर-बुने हुए कपड़े और मुद्रित गैर-बुने हुए कपड़े के निर्माता के रूप में एक प्रसिद्ध नाम बनाया है।
9. न्यू इंडिया कैनवास इंडस्ट्रीज, बिरहाना रोड, कानपुर:
वे 36" से 72" तक के सूती कैनवास के कपड़े के निर्माता हैं और उच्च गुणवत्ता वाले वाटरप्रूफ कॉटन कैनवास तिरपाल में काम करते हैं। वे सुप्रीम सिलपॉलिन उत्पादों जैसे तिरपाल, धूमन कवर, कार बॉडी कवर आदि में भी काम करते हैं।
10. दादा नगर, कानपुर में स्वास्तिक उद्योग:
कानपुर में स्वास्तिक इंडस्ट्रीज डोर पैनल निर्माताओं में अग्रणी व्यवसायों में से एक है। प्लास्टिक डोर मैन्युफैक्चरर्स, डोर पैनल मैन्युफैक्चरर्स, पीवीसी डोर पैनल मैन्युफैक्चरर्स और भी बहुत कुछ के लिए जाना जाता है। वर्ष 2017 में स्थापित, दादा नगर, कानपुर में स्वास्तिक इंडस्ट्रीज कानपुर में डोर पैनल निर्माताओं की श्रेणी में एक शीर्ष खिलाड़ी है। यह प्रसिद्ध प्रतिष्ठान स्थानीय और कानपुर के अन्य हिस्सों से ग्राहकों की सेवा करने वाले वन-स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में कार्य करता है।
11. कमला प्लास्टिक इंडस्ट्रीज:
वर्ष 1994 में स्थापित, "कमला प्लास्टिक इंडस्ट्रीज" फैन शीट, पीवीसी पाइप बेंड, पीवीसी कंड्यूट पाइप, फैन बॉक्स आदि का निर्माण कर रही है।
12. अशोक रबड़ उद्योग, पनकी औद्योगिक क्षेत्र, साइट 1, कानपुर:
ग्राहक केंद्रित कानपुर में अशोका रबर इंडस्ट्रीज के मूल में है और यह इस विश्वास ने व्यापार को दीर्घकालिक संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया है। सकारात्मक ग्राहक अनुभव सुनिश्चित करना, उच्चतम गुणवत्ता वाले सामान और/या सेवाएं उपलब्ध कराना प्रमुख महत्व रखता है। यह शॉक एब्जॉर्बर, रबर शीट्स, रबर पार्ट, रबर ओ रिंग, नाइट्राइल रबर शीट में कुछ नाम रखने वाली कंपनियों में से एक है।
13. परफेक्ट सर्जिकल इंडस्ट्रीज, श्याम नगर, कानपुर:
परफेक्ट सर्जिकल इंडस्ट्रीज (ऑर्थोएड्स) भारत में आर्थोपेडिक उपकरणों का एक प्राथमिक निर्माता और वितरक है। चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उद्योग में 40 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, उन्होंने कुछ साल पहले इस कंपनी को सॉफ्ट गुड्स निर्माता के रूप में शुरू किया, जो आज कंपनी के लिए व्यवसाय का मुख्य केंद्र है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने आर्थोपेडिक उपकरणों, फ्रैक्चर एड्स, वॉकिंग एड्स और कमोड कुर्सियों में वैश्विक मानकों से मेल खाने वाली श्रृंखला की पेशकश करके बाजार में एक जगह अर्जित की है।
14. हिंदुस्तान स्टील इंडस्ट्रीज, कानपुर:
हिंदुस्तान स्टील इंडस्ट्रीज बेलिंग प्रेस मशीन, हाइड्रोलिक पावर पैक और म्यूकोस की एक विस्तृत श्रृंखला का एक प्रसिद्ध निर्माता है।
कानपुर में औद्योगीकरण का आगाज जिला बनने के १५वर्ष पूर्व सन १७८६ ई. में जाजमऊ में शराब डिस्टलरी की स्थापना के साथ हुआ। जिला बनने के बाद कानपुर में नील के कारखानों से तिजारत फैली । सन १८५७ की क्रान्ति के बाद कानपुर में योजनागत ढंग से उद्योगो का विकास सन १८५९ में हार्नेस सैडलरी फैक्ट्री (किला) एवं सन १८६० में कानपुर काटन कमेटी के गठन से शुरू हुआ । कानपुर काटन कमेटी द्वारा १८६१ में सिविल लाइन में गंगा के किनारे एल्गिन मिल स्थापित की गई जो सन १८६४ में तीन लाख की पूंजी के साथ काम करने लगी । सन १८७६ में मि. सर जार्ज एलेन, मि. सर विलियम अर्नशा कूपर, मि. बेवन पेटमैन, डा. कांडन व मि. गैविन एस जॉन्स ने फौज के कम्बल बनाने के लिए एक मिल खोला जो कम्बलघर, कानपुर उलेन मिल और लालइमली के नाम से ख्यात हुआ ।सन १८७४ में मि. गैविन जॉन्स ने म्योर मिल और सन १८८० में मि. जॉन हारवुड ने कूपरगंज में कानपुर काटन मिल स्थापित की और सन १८८६ में न्यु विक्टोरिया मिल , सन १९११ में स्वदेशी काटन मिल, सन १९२१ में अर्थटन मिल के साथ ही जे के काटन मिल, लक्ष्मीरतन काटन मिल कानपुर टेक्सटाइल मिलो की स्थापना के साथ कानपुर शहर में औद्योगिक विकास शीर्ष पर पहुंच गया । सूती वस्त्र उद्योग के साथ ही चमड़ा उद्योग जो मि. जान स्टीवर्ट ने हार्नेस एंड सैडलरी फैक्ट्री से शुरू हुआ ने भी बहुत विकास किया । मि. विलियम अर्नशा कूपर व मि. जार्ज एलेन ने सन १८८० कूपर एलेन एंड कंपनी परमट पर स्थापित किया जिसमें सन१८९२ में शुरू हुई नार्थ वेस्ट टेनरी को भी सन १९०४ में मिला दिया गया बाद में सरकार ने इसे लेकर टैफको के रूप में चलाया । सुप्रसिद्ध फ्लेक्स ब्रांड के जूते इसी कम्पनी में बनते थे । सन १९०० में जर्मन उद्यमी मि. वानडर वेंस ने जुही में टेनरी और मि. डब्लू बी शीवान ने जाजमऊ टेनरी बाद में कानपुर टेनरी, इंडियन नेशनल टेनरी, यूनाइटेड प्राविंस टेनरी आदि खुली । इसके साथ ही कानपुर में पहला जूट मिल मि. आर्नाल्ड विअर ने १८८३ में स्थापित किया बाद में वह मिल माहेश्वरी देवी जूट मिल कहलाया इसके बाद सन १९२९ में जे के जूट मिल खुली । गुटैया शुगर मिल में सन १९३७ से ३९ के मध्य गुड़ से शक्कर बनाने के स्थान पर सीधे गन्ने के रस से शक्कर बनाई जाने लगी । कानपुर शुगर वर्क्स कोपरगंज और बैजनाथ बालमुकुंद शक्कर मिल अनवरगंज भी पर्याप्त प्रसिद्ध रही । कानपुर में लोहे का पहला रोलिंग मिल १९०४ में हाजीमुहम्मद फखरुद्दीन ने इंडिया रोलिंग मिल के नाम से सब्जीमंडी में खोली । सरदार इंदर सिंह ने सिंह रोलिंग मिल से पर्याप्त यश अर्जित किया ।
आधुनिक वस्त्र उद्योग में कानपुर में आयोजित चतुर्थ अखिल भारतीय सूती वस्त्र सम्मेलन का अहम योगदान रहा । जाजमऊ क्षेत्र में सन १९५९ में जे के रेयान शुरू हुआ जो १९८३ में बंद हो गया ।
कानपुर में आयुध कारखानों में सबसे अधिक पुराना आर्डिनेंस इक्यूपमेंट फैक्ट्री है जो 1859 में स्थापित हार्नेस सैडलरी फैक्ट्री है जिसमें पहले फौजी जूते बनते थे बाद अन्य आयुध सामग्री । सन 1941 में आर्डिनेंस पैरासूट फैक्ट्री और सन 1942 में आर्डिनेंस फैक्ट्री व स्माल आर्म्स फैक्ट्री तथा सन 1929 में फील्डगन फैक्ट्री स्थापित हुई इसके साथ ही सीओडी एवं डी एम एस आर डी आई आदि भी है ।
आज़ादी के बाद कानपुर मेंसूती वस्त्र उद्योग के कारखाने बंदी के शिकार हुए तो नए में होजरी, रेडीमेड गारमेण्ट, केमिकल, वनस्पति घी व तेल, साबुन, टायर, पान मसाला उद्योग बढ़े ।
सूती मिलों का विस्तृत इतिहास
चूंकि कानपुर सूती मिलों के चलते ही उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहलाया अतएव कानपुर की सूती मिलों का यहां विस्तृत इतिहास प्रकाशित किया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी जान सके कि किस तरह यहां दिन-रात मिलों में काम होता था। हजारों हाथों को काम व हजारों परिवारों को रोटी मिली हुई थी।
एल्गिन कॉटन स्पिनिंग एंड वीविंग क लि
कानपुर ही नहीं उत्तर भारत की पहली कॉटन मिल्स सन 1861 में एल्गिन कॉटन स्पिनिंग एंड वीविंग क लि नाम से सिविल लाइंस में कानपुर कॉटन कमेटी नामक एक संस्था द्वारा स्थापित की गई थी। 1912 में लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित कर दी गयी। सन् 1914 में उक्त मिल में बेग सदरलैंड एंड कंपनी के प्रबंधन में आ गई थी तथा सन 1946 में यह बीआईसी समूह का अंग बन गई। वर्ष 1981 में जब बीआईसी को भारत सरकार ने अधिग्रहित कर लिया तो 11 जून 1981 से एल्गिन मिल को भारत सरकार का प्रतिष्ठान बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
म्योर मिल कं लि
कानपुर की दूसरी सूती मिल होने का गौरव परेड स्थित म्योर मिल कं लि के नाम दर्ज है। इस मिल की स्थापना सन् 1874 में गौविन जोंस ने की थी। मिल्स के स्वर्णिम काल में करीब 6300 कर्मचारी कार्यरत रहे हैं। इस मिल में मुख्यता मोटे बाने ही बनते थे। बाद में इसका अधिग्रहण भारत सरकार ने कर लिया था।
न्यू विक्टोरिया मिल्स कं लि
सन् 1886 में विक्टोरिया मिल्स कं की स्थापना की थी, जिसका सन् 1920 में नाम बदलकर न्यू विक्टोरिया मिल्स कं लि हो गया था। इस मिल में 4770 श्रमिक कार्यरत थे। आजादी के बाद इस मिल को सर जे.पी. श्रीवास्तव ने खरीद लिया था। बाद में यह मिल भी केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित कर ली गई थी।
स्वदेशी कॉटन मिल्स
स्वदेशी कॉटन मिल्स की स्थापना 1911 में ए एफ हॉर्समैन ने जूही में की थी। इस मिल में करीब 335000 गज कपड़े का व करीब 95000 पौंड यार्न का प्रतिदिन उत्पादन होता था। अप्रैल 1978 में सरकार ने इस मिल का अधिग्रहण कर लिया और 1986 में इसे राष्ट्रीयकृत कर दिया गया।
जे.के. कॉटन स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स कंपनी लिमिटेड
इस मिल की स्थापना जे.के. समूह के संस्थापक लाल कमलापत सिंघानिया ने सन् 1921 में निजी कंपनी के रूप में की थी। वर्ष 1923 में इस मिल को ज्वाइंट स्टाफ कंपनी एक्ट के तहत प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया। इस मिल में लाला कमलापत ने प्रथम बार भारतीय रुई से बढ़िया माल बनाने का सफल प्रयोग किया था। इसी सफल प्रयोग के चलते ही उन्होंने देश में सर्वप्रथम छींट का उत्पादन कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था।
कानपुर के अन्य बड़े उद्योग।
कानपुर ऊलेन मिल्स (लाल इमली)
कानपुर क्या पूरे देश में प्रथम ऊनी मिल कानपुर मिल्स के नाम से स्थापित की थी। लाल इमली के नाम से मशहूर इस मिल ने कालांतर में विश्वस्तर पर धूम मचा दी थी। सन् 1876 में परेड चुननीगंज के बीच में ये मिल मुख्यतया सेना के कंबल बनाने के लिए लगायी गई थी। सन् 1914 में कंपनी का नाम बदल कर दि कानपुर ऊलेन मिल्स कं. लि. हो गया। सन् 1920 में यहां 2000 से अधिक कर्मचारी सेवारत् थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मिल का उत्पादन खूब बड़ा नतीजन कर्मचारियों की संख्या भी 4000 से अधिक जा पहुंची। सन् 1981 में भारत सरकार ने लाल इमली का राष्ट्रीयकरण कर दिया था।
कानपुर में पिसे मसाले का जनक है अशोक मसाले।
कानपुर में पिसे मसालों की शुरुआत का श्रेय निसंदेह प्रख्यात किराना व्यापारी एवं प्रखर समाजसेवी स्वर्गीय भगवती प्रसाद गुप्त को जाता है जिन्होंने सन् 1957 में बहुत छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की थी। बटर पेपर में पैकिंग, अपने हाथ से पीसना और महिलाओं के जरिए घर-घर तक इस प्रोडक्ट को पहुंचा कर तब पहचान बनाने की जद्दोजहद थी। क्योंकि तब लोगों के मन में पिसे मसाले की कल्पना तक नहीं थी सो लोग इसका एक पैकेट लेने में भी गुरेज करते थे। संघर्ष रंग लाया और धीरे-धीरे गृहणिया इसे अपनी रसोई में रखने लगी। 1965 में जब कंपनी ने एगमार्क लिया तो भी इस क्षेत्र में वह पहले ही थे और आश्चर्य भी जताया गया था।
सिक्का बांधनी हींग।
सिक्का ब्रांड हींग के जनक हैं श्री जयप्रकाश गुप्ता। सन 1984 में भोजन की जान, रसोई की शान सिक्का बांधनी हींग की शुरुआत कानपुर के किदवई नगर से बहुत ही छोटे स्तर पर हुई थी। यह हींग अपनी विशिष्ट गुणवत्ता व वाजिब कीमतों के चलते समस्त उत्तर प्रदेश के जन– जन के मन में बस गयी। इसके बाद इसने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, गुजरात में भी अपनी पैठ बनाई। हींग में औषधीय गुण भी होते हैं।
राष्ट्रीय क्षितिज पर फहरा रहा है घड़ी डिटर्जेंट का परचम।
स्वर्गीय दयालदास जी ने दर्शनपुरवा में मनोज सोपवर्क्स नाम से किराए की जगह पर अपनी फैक्ट्री स्थापित की। उनके बड़े बेटे श्री मुरलीधर ने बहुत ही अल्प समय में उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रियता बनाने में सफलता अर्जित कर ली। सन् 1988 में घड़ी ब्रांड से डिटर्जेंट केक व पाउडर का उत्पादन प्रारंभ कर दिया। कानपुर के लिए इससे अधिक गर्व और गौरव की क्या बात हो सकती है कि घड़ी ब्रांड डिटर्जेंट इस देश की प्रमुख डिटॉर्जन उत्पादक इकाइयों में शामिल है।
एलुमिनियम बर्तन उद्योग
कानपुर में एलुमिनियम बर्तन उद्योग की शुरुआत आजादी के बाद हुई है। जेके ग्रुप ने इस क्षेत्र में कदम रखा फिर सिंह ग्रुप एवं भाटिया सेफ के मालिकों ने भी अल्मुनियम बर्तन बनाने की शुरुआत की। इस दिशा में उद्यमियों ने प्रयास जारी रखा नतीजन विजय मेटल वर्क्स, लक्ष्मी मेटल इंडस्ट्रीज और चौधरी मेटल इंडस्ट्रीज नामक कारखानों की स्थापना हुई। इनकी सफलता के चलते 1965-70 के बीच 7 कारखाने और स्थापित हो गए। अल्मुनियम बर्तन उद्योग से अरसे से जुड़े श्री लाडली प्रसाद गुप्ता के अनुसार 70 से 80 का दशक कानपुर के अल्मुनियम बर्तन उद्योग के लिए स्वर्णिम काल माना जा सकता है।
कड़क फैमिली चाय का परचम
श्री रज्जन लाल गुप्ता (टंडन जी) द्वारा 1993 में स्थापित हुआ। कड़क फैमिली टी प्रा. लि. गत वर्षों में उत्तर भारत कि ना केवल एक अग्रणी चाय उत्पादक कंपनी बनने में सफल रही है वरन् कंपनी द्वारा प्रस्तुत कड़क फैमिली चाय आज लाखों उपभोक्ताओं की पहली पसंद बन चुकी है। उत्तर प्रदेश पैकेट चाय क्षेत्र में उद्योग रत्न 2003 का पुरस्कार भी कंपनी को प्राप्त हुआ है।
एक झलक
कानपुर के औद्योगिक इतिहास में सर्वप्रथम
• प्रथम कोल्ड स्टोरेज अपर इंडिया कोल्ड स्टोरेज था। इसकी स्थापना सन 1949 में की गई थी।
• जे.के. आयरन एंड स्टील कं. लि. ने प्रथम बार सन् 1960 में हाइड्रोलिक विधि से चलित खाण्डसारी शुगर प्लांट का निर्माण किया था।
• कानपुर में ही नहीं पूरे देश में प्रथम टेलीविजन जे.के. इलेक्ट्रॉनिक्स ने सम्राट ब्रैंड से सन् 1968 में बनाया था।
• कानपुर में प्रथम स्कूटर पवन व राजहंस ब्रांड से सन् 1971 में ठा. जंग बहादुर सिंह ने बनाया था।
• कानपुर में पहले टैम्पो व लोडर के उत्पादन का श्रेय जे.एस. आटो प्रा. लि. को है जिसकी स्थापना सन् 2005 में श्री जोगिंदर पाल पुरी ने की है।
सन् 1976 में कानपुर के अधिसंख्य बड़े उद्योग
1. एल्गिन मिल्स न . 1 एवं नं 2 सिविल लाइस, डिप्टी का पड़ाव ( कोपरगंज )- सूती कपड़े
2. स्वदेशी काटन मिल्स, जूही- सूती कपड़े
3. अथर्टन वीट काटन मिल्स जीटी रोड- सूती कपड़े
4. कानपुर टेक्सटाइल्स लि., कूपरगज- सूती कपड़े
5. जे. के. काटन स्पि. एण्ड वी. मिल्स, कालपी रोड- सूती कपड़े
6. जे. के. काटन मैन्यू, कालपी रोड- सूती कपड़े
7. लक्ष्मीरतन काटन मिल्स, कालपी रोड- सूती कपड़ा
8. जे.के. रेयान, जाजमऊ- सिंथेटिक वस्त्र
9. कानपुर ऊलेन मिल्स, लाल इमली- ऊनी वस्त्र
10. कानपुर जूट उद्योग , हैरिशगंज -जूट उत्पाद
11. जे.के. जूट मिल्स , कालपी रोड- जूट उत्पाद
12. मोतीलाल पदमपत उद्योग ( वनस्पति शाखा ) गुटैया- वनस्पति
13. मोतीलाल पदमपत उद्योग ( स्टील फाउण्ड्री साज ) गुटैया- सरिया आदि
14. इण्डियन आक्सीजन लि. फजलगंज -ऑक्सीजन गैस
15. जे.के. इलेक्ट्रानिक्स , जीटी रोड- टी. वी.
16. प्लास्टिक प्रोडक्ट्स , कालपी रोड- प्लास्टिक उत्पाद
17. सिन्थेटिक्स ट्यूब्स वर्क्स, जी.टी. रोड- बाबिंग
18. टैफ्को , सिविल लाइस- लेदर सामान
19. आई.ई.एल. , पनकी- खाद
20. सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स , जी.टी. रोड- पिग आयरन इत्यादि
21. श्री राम महादेव प्रसाद फ्लोर मिल, हैरिशगंज –आटा
आजादी के बाद कानपुर की औद्योगिक यात्रा के प्रमुख पड़ाव।
• 1948 चावला ब्रांड नमकीन की शुरुआत
• 1949 अपर इंडिया कोर्स स्टोरेज स्थापित
• 1951 इंडिया थर्मित कॉरपोरेशन लि. की स्थापना
• 1952 यूपीका की स्थापना, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की केंद्रीय कार्यशाला की स्थापना, पहलवान साबुन की शुरुआत
• 1953 सिंह इंजीनियरिंग वैगन फैक्ट्री का शुभारंभ
• 1954 उत्तर प्रदेश वित्तीय निगम का गठन
• 1957 अशोक मसाले की शुरुआत
• 1958 लघु उद्योग सेवा संस्थान की स्थापना, उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम स्थापित
• 1959 के रियान स्थापित
• 1960 कानपुर इंडस्ट्रियल कॉपरेटिव इस्टेट की स्थापना दादानगर में, एच ए एल का शुभारंभ
• 1961 यूपीएसआईडीसी गठित
• 1962 उद्योग निदेशालय द्वारा इंडस्ट्रियल स्टेट की स्थापना
• 1966 उत्तर प्रदेश निर्यात निगम की स्थापना
• 1967 कानपुर पावरलूम ओनर्स एसोसिएशन का गठन
• 1969 आ.ई.एल. खाद कारखाना स्थापित, उत्तर राज्य वस्र निगम का गठन, टेनरी एंड फुटवियर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना, विनस होजरी की शुरुआत, ताज ब्रांड डिटर्जेंट पाउडर का उत्पादन शुरु
• 1970 मॉडल फूड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की स्थापना
• 1971 यूपी स्कूटर लिमिटेड की शुरुआत
• 1972 हथकरघा एवं वस्त्रोउद्योग निदेशालय का गठन, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम की स्थापना, लोहिया मशीन प्रा. लि. की स्थापना
• 1973 पराग पान मसाला की शुरुआत
• 1974 म्योर मिल्स, न्यू विक्टोरिया मिल्स एनटीसी के अधीन
• 1975 एलेन फॉरेस्ट परिवहन कार्यशाला खुली , लक्ष्मी रतन कॉटन मिल्स एवं अर्थटन मिल्स एनटीसी के अधीन 1976पनकी इंडस्ट्रियल एरिया स्थापित
• 1978 काटन मिल्स का अधिग्रहण
• 1979 मिर्ज़ा टेनर्स प्र. लि. की स्थापना
• 1980 उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल संघ लि. की स्थापना
• 1981 भारत सरकार द्वारा बीआईसी समूह का अधिग्रहण, लोहिया स्टारलिंगर लि. स्थापित
• 1982 कानपुर स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
• 1983 एल.एम.एल लिमिटेड स्कूटर कारखाना स्थापित
• 1984 हिंदुस्तान वेजीटेबल ऑयल कॉरपोरेशन खोला
• 1985 घाटमपुर चीनी मिल स्थापित
• 1988 घड़ी ब्रांड डिटर्जेंट केक एवं पाउडर की शुरुआत
• 1994 उद्योग निदेशालय के अधीन उ. प्र. व्यापार प्रोत्साहन प्राधिकरण की स्थापना
• 2001 कानपुर को इकोनॉमिक जोन घोषित किया गया
• 2005 जे.एस. ऑटो प्रा. लि. की स्थापना
• 2007 कानपुर सेंट्रल से उद्योगकर्मी एक्सप्रेस सूरत के लिए पहली बार शुरू